भारत सरकार ने हाल ही में Income Tax Bill 2025 पेश किया है, जिसका उद्देश्य Income Tax Act, 1961 को सरल और पारदर्शी बनाना है। इस नए बिल में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जो न केवल व्यक्तियों बल्कि व्यवसायों के लिए भी लाभकारी हो सकते हैं। इस लेख में, हम इन नए नियमों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और यह भी बताएंगे कि किन लोगों को अब टैक्स नहीं भरना होगा।
इस नए बिल के तहत, टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन टैक्स रिबेट में वृद्धि की गई है। इसके अलावा, स्टैंडर्ड डिडक्शन भी बढ़ाया गया है, जिससे सैलरीड व्यक्तियों को अतिरिक्त लाभ मिलेगा। आइए इन बदलावों को विस्तार से समझते हैं।
Income Tax New Rules 2025: Key Highlights
नीचे दी गई तालिका में Income Tax Bill 2025 के मुख्य बिंदुओं का विवरण दिया गया है:
विशेषताविवरणटैक्स स्लैबआय तक 12 लाख रुपये तक कोई टैक्स नहीं (नए टैक्स रिजीम में)।स्टैंडर्ड डिडक्शनसैलरीड व्यक्तियों के लिए 75,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन।टैक्स रिबेट60,000 रुपये तक का टैक्स रिबेट, जिससे 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं।प्रेसम्प्टिव टैक्सेशनछोटे व्यवसायों और पेशेवरों के लिए सरलीकृत प्रेसम्प्टिव टैक्सेशन योजना।टीडीएस और टीसीएसविभिन्न आय स्रोतों पर टीडीएस और टीसीएस की दरें निर्धारित।टैक्स रिटर्न फाइलिंगटैक्स रिटर्न फाइलिंग की समय सीमा में कोई बदलाव नहीं।
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टैक्स स्लैब और रिबेट के बदलाव
नए टैक्स रिजीम में आय के स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन टैक्स रिबेट में वृद्धि की गई है। अब 60,000 रुपये तक का रिबेट मिलेगा, जिससे 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। सैलरीड व्यक्तियों के लिए यह सीमा 12.75 लाख रुपये तक हो जाती है, क्योंकि उन्हें 75,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलती है।
प्रेसम्प्टिव टैक्सेशन स्कीम
प्रेसम्प्टिव टैक्सेशन योजना को सरल बनाया गया है, जिससे छोटे व्यवसायों और पेशेवरों को लाभ होगा। इस योजना के तहत, व्यवसायों को अपनी आय का एक निश्चित प्रतिशत ही टैक्स के रूप में देना होगा, जैसे कि 6% या 8%, जो भी अधिक हो। पेशेवरों के लिए यह दर 50% है।
टीडीएस और टीसीएस प्रावधान
टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) और टीसीएस (टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स) के नियमों में भी बदलाव किए गए हैं। विभिन्न आय स्रोतों पर टीडीएस की दरें निर्धारित की गई हैं, जैसे कि सैलरी, प्रोफेशनल फीस, ब्याज आय, और किराया। टीसीएस विशिष्ट लेनदेन पर लागू होता है, जैसे कि मोटर वाहनों की बिक्री और विदेशी रेमिटेंस।
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टैक्स से मुक्त आय
अब, नए टैक्स रिजीम के तहत, आय तक 12 लाख रुपये तक कोई टैक्स नहीं देना होगा, बशर्ते कि 60,000 रुपये का टैक्स रिबेट मिले। सैलरीड व्यक्तियों के लिए यह सीमा 12.75 लाख रुपये तक हो जाती है, क्योंकि उन्हें 75,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलती है। यह उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है जो निम्न और मध्यम आय वर्ग से आते हैं।
कौन लोग टैक्स से मुक्त होंगे?
- निम्न आय वर्ग: जिन व्यक्तियों की आय 12 लाख रुपये से कम है, उन्हें कोई टैक्स नहीं देना होगा।
- सैलरीड व्यक्ति: सैलरीड व्यक्तियों के लिए आय 12.75 लाख रुपये तक टैक्स मुक्त होगी, क्योंकि उन्हें 75,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलती है।
- छोटे व्यवसाय: जो व्यवसाय प्रेसम्प्टिव टैक्सेशन योजना का लाभ लेते हैं, उन्हें आय का एक निश्चित प्रतिशत ही टैक्स देना होगा।
नए टैक्स नियमों का प्रभाव
इन नए नियमों का प्रभाव विभिन्न वर्गों पर अलग-अलग होगा:
- व्यक्तिगत करदाता: निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोगों को अधिक लाभ मिलेगा, क्योंकि उनकी आय 12 लाख रुपये तक टैक्स मुक्त होगी।
- व्यवसाय: छोटे व्यवसायों के लिए प्रेसम्प्टिव टैक्सेशन योजना सरल हो गई है, जिससे उन्हें कम प्रशासनिक बोझ होगा।
- सरकार: सरकार को उम्मीद है कि इससे कर अनुपालन में सुधार होगा और कर प्रणाली अधिक पारदर्शी होगी।
निष्कर्ष
Income Tax Bill 2025 के तहत किए गए बदलावों से न केवल व्यक्तियों बल्कि व्यवसायों को भी लाभ होगा। नए टैक्स रिजीम में आय 12 लाख रुपये तक टैक्स मुक्त होने से निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोगों को विशेष रूप से लाभ होगा। साथ ही, प्रेसम्प्टिव टैक्सेशन योजना छोटे व्यवसायों के लिए सरल हो गई है, जिससे उन्हें कम प्रशासनिक बोझ होगा।
महत्वपूर्ण शब्दावली
- टैक्स स्लैब: आय के विभिन्न स्तरों पर लगने वाले टैक्स की दरें।
- टैक्स रिबेट: आयकर अधिनियम के तहत दी जाने वाली राशि, जिससे टैक्स देनदारी कम होती है।
- स्टैंडर्ड डिडक्शन: सैलरीड व्यक्तियों को दी जाने वाली एक निश्चित राशि की कटौती, जिससे उनकी टैक्स देनदारी कम होती है।
- प्रेसम्प्टिव टैक्सेशन: एक ऐसी योजना जिसमें व्यवसायों को अपनी आय का एक निश्चित प्रतिशत ही टैक्स के रूप में देना होता है।
Disclaimer: यह लेख सामान्य जानकारी के लिए है और किसी विशिष्ट वित्तीय सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। व्यक्तिगत कर स्थिति के लिए एक पेशेवर सलाहकार से परामर्श करना उचित होगा।